गुरुवार, 5 अगस्त 2010

एन.ई.एफ़.टी. और आर.टी.जी.एस. क्या होता है

आजकल आपको बहुत सारी वित्तीय कंपनियों, बैंकों, म्यूचयल फ़ंड या कोई बांड कंपनियों से पत्राचार करती होंगी जिसमें वो आपके सुरक्षित नंबरों की जानकारी लेती हैं जैसे कि माईकर, आई.एफ़.एस.सी, एन.ई.एफ़.टी., आर.टी.जी.एस., आपका फ़ोन नंबर और भी बहुत कुछ पुछते हैं। लेकिन क्यों ? क्योंकि आज की बैंकिंग प्रणाली हमलोगों को ऑनलाईन एकाऊँट को उपयोग करने के लिये प्रेरित कर रहे हैं। डाइनोसोरस जैसे लुप्त हो गये वैसे अब कुछ ही दिनों में चेक भी बैंकिंग प्रणाली से लुप्त हो जायेंगे।

पर अब आपको करना क्या होगा ये नंबर कहाँ से मिलेगा, आप अपनी चेकबुक खोलिये और उसमें चेक पर नीचे की तरफ़ देखना होगा। माइकर नंबर – MICR (Magnetic Ink Character Recognition) – यह नौ नंबरों का कोड होता है जो कि चेक में चेक नंबर के आगे लिखा होता है। जो कि इस प्रकार होता है – पहले तीन नंबर होते हैं शहर के लिये जहाँ आपका बैंक एकाऊँट है। अगले तीन नंबर आपके बैंक के होते हैं और आखिरी के तीन नंबर बैंक ब्रांच के होते हैं।

आई.एफ़.एस.सी. (IFSC Code – Indian Financial System Code) - यह एन.ई.एफ़.टी. याने कि राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक वित्तीय लेनदेन (National Electronic Fund Transfer) के काम में आता है। यह ११ अक्षरों और नंबरों तक का हो सकता है। पहले चार अक्षर आपके बैंक के कोड होते हैं जो कि आसानी से आप भी पहचान सकते हैं। उदाहरण के लिये BOB – बैंक ऑफ़ बड़ौदा, पाँचवा अक्षर अधिकतर जीरो होता है। आखिरी के छ: नंबर बैंक की शाखा के पहचान के लिये होते हैं।
उपयोग –
अगर आपने कोई म्यूचयल फ़ंड खरीदा है और उसका डिविडेन्ड घोषित किया गया है और आपने अगर अपने वित्तीय संस्थान में यह कोड बता रखा है तो आपको चेक नहीं आयेगा, सीधे आपके बैंक में डिविडेन्ड जमा हो जायेगा। और उसकी एक प्रति आपके पास आ जायेगी कि राशि बैंक में जमा कर दी गई है। तो आप चेक जमा करने की परेशानी से बच गये और पूरी वित्तीय प्रणाली भी आसान हो गई।
कार्य कैसे करता है -
बैंकें आजकल आधुनिक सुविधाओं का उपयोग कर रही हैं, जो कि चेक की जगह इलेक्ट्रानिक है, और सुविधाजनक है। फ़ंड हाऊस जिसने डिविडेन्ड घोषित किया है वह अपने बैंक को अपने ग्राहक के एकाऊँट नंबर, आई.एफ़.एस.सी. कोड के साथ राशि का विवरण दे देते हैं। फ़िर वह बैंक रिजर्व बैंक को यही संदेश भेज देता है। जहाँ कि इस तरह के सारे संदेशों को प्राप्त किया जाता है और भेजा जाता है। फ़िर रिजर्व बैंक सभी संदेशों को जिन बैंकों में भेजना होता है वहाँ वह संदेश प्रेषित कर देता है। और आपका एकाऊँट में पैसा जमा हो जाता है। खाते में राशि जमा होने के लिये, इस सेवा में १ से २ दिन लगते हैं । NEFT सेवा अभी RBI की तरफ़ से नि:शुल्क है और कुछ बैंकें अब इसके ऊपर न्यूनतम शुल्क राशि ले रही हैं।
आर.टी.जी.एस. – (RTGS – Real Time Gross Settlement) - यह वित्तीय लेनदेन के लिये त्वरित सेवा है। जो कि केवल २ घंटे के अंदर एक बैंक से दूसरे बैंक में राशि जमा कर देती है। इसके लिये आपको अपनी बैंक की शाखा में एक आवेदन देना होता है जिसमें आपको जो जानकारी देनी होती है, वह है – ग्राहक का नाम, जिसके खाते में पैसा जमा करना है, ग्राहक का बैंक और शाखा की जानकारी और उसका शहर, ग्राहक का एकाऊँट नंबर। और इसके लिये रिजर्व बैंक के शुल्क हैं २५ रुपये और बैंकों के अपने अपने अलग शुल्क हो सकते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें